WHO ने बताया- कोविड-19 से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति में हो सकता है इजाफा

WHO ने बताया- कोविड-19 से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति में हो सकता है इजाफा

सेहतराग टीम

कोविड-19 इस समय पूरी दुनिया में फैल चुका है और इसको लेकर लोगों में डर भी बैठा है। लोग इसकी वजह से घरो से बाहर नहीं निकल रहे हैं और लोगों से मिलना भी बंद कर दिए है। क्योंकि इस महामारी से बचने के लिए यही एक तरीका है। वहीं इसके लक्षणों को देखें तो लोगों को सांस लेने और सर्दी-जुकाम की समस्या होती है। लेकिन इस महामारी की वजह से लोगों को कई और तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन समस्याओं में सबसे ज्यादा चिंता, अवसाद, गुस्सा, दुख, बेचैनी आदि समस्याएं है। बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार जाने से जीवनयापन का संकट भी है। इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पूरी दुनिया को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति आगाह किया है। WHO ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के प्रति खास सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

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WHO में दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने सलाह जारी करते हुए कहा है कि कोविड-19 संक्रमण को लेकर लोगों के मन में भारी उथल-पुथल हो रही है। लोग इसे कलंक की तरह लेने लगे हैं। उन्हें ऐसा महसूस होता है कि कोविड-19 का संक्रमण हमारे लिए एक धब्बा है। इसके कारण उनमें अवसाद और अलग-थलग रहने के भाव पैदा होने लगे हैं। 

मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट की सबसे बड़ी वजह कोरोना

डॉ खेत्रपाल ने कहा कि कोरोना के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य में कमजोरी आई है। जब से कोविड-19 संक्रमण बढ़ा है, घरेलू हिंसा के मामलों में कई गुना की वृद्धि हुई है। वायरस के फैलने के साथ ही ज्यादातर देशों में लॉकडाउन लगने लगा, जिसके बाद दुनिया भर में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि इससे जीवन और जीवनयापन दोनों प्रभावित हुए हैं। इससे लोगों में डर, बेचैनी, अवसाद और चिंता बढ़ने लगी है और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने लगा है। 

सामाजिक दूरी, घरों में अलग-थलग रहना, वायरस को लेकर लगातार डरावनी और बदलती हुई खबर आना इत्यादि ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को तेजी के साथ प्रभावित किया है। डॉ पूनम खेत्रपाल ने कहा कि इस बदलती हुई परिस्थिति में दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को तत्काल मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। 

हर साल 8 लाख लोग करते हैं आत्महत्या

मानसिक स्वास्थ्य की शुरुआती पहचान, आत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन की पहचान और बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से इसका उचित प्रबंधन करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें महामारी के प्रसार को रोकने के लिए भी अपने प्रयास तेज करने चाहिए। 

WHO के मुताबिक हर साल विश्व में 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। इनमें ज्यादातर युवा वर्ग ही होते हैं। WHO के मुताबिक, 15 से 29 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा आत्महत्याएं करते हैं। डॉ पूनम ने बताया कि कई ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिनसे यह पता चलता है कि अगर एक युवा आत्महत्या करता है तो उसके साथ 20 अन्य लोग भी आत्महत्या करने के प्रयास करते हैं। चूंकि विश्व की कुल आत्महत्या के मामलों में 39 प्रतिशत आत्महत्याएं दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में होती हैं, इसलिए इन देशों को कोरोना संकट काल में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।

 

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